आईटीआई में 463 प्रशिक्षण अधिकारियों (ट्रेनिंग आफिसर) के पदों के लिए नई भर्ती पर कोर्ट ने लगाई रोक

भोपाल :  मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि जबलपुर हाईकोर्ट ने तकनीकी शिक्षा विभाग के आईटीआई में 463 प्रशिक्षण अधिकारियों (ट्रेनिंग आफिसर) के पदों के लिए सितम्बर माह में विज्ञापन जारी कर 6 नवम्बर को आयोजित की गई परीक्षा के रिजल्ट पर रोक लगाते हुये नई भर्ती किये जाने पर भी कोर्ट के आगामी आदेश तक रोक लगा दी है ।

तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आईटीआई के 463 पदों की नियमित भर्ती में तकनीकी शिक्षा विभाग अंतर्गत ही कौशल विकास केन्द्रों में पांच वर्षो से कार्यरत अनुभवी संविदा प्रशिक्षण अधिकारियों को किसी प्रकार की प्राथमिकता नहीं दिये जाने से नाराज प्रशिक्षण अधिकारी राजेश साहू, खेमेन्द्र ठाकुर सहित कई कर्मचारियों ने कोर्ट की शरण ली थी। जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत ही कौशल विकास केन्द्र और आईटीआई दोनों विंग आती हैं।

आईटीआई और कौशल विकास केन्द्रों में प्रशिक्षण अधिकारियों की भर्ती की योग्याताएं और पद समान है उसके बाद भी तकनीकी शिक्षा विभाग ने नियमित भर्ती के पदों में कौशल विकास केन्द्रों में विगत पांच सालों से प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को किसी प्रकार की आयु सीमा में छूट, बोनस अंक अथवा अनुभव के आधार पर संवलियन की कार्यवाही नही की गई । तथा विभाग ने भर्ती के लिए निकाले गये विज्ञापन में डायरेक्टेट आफ जनरल इंडिया के मापदण्डों को भी पूरा नहीं किया।

कोर्ट लगा सकती है सरकार की सभी नियमित भर्तियों पर रोक

मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि सरकार प्रोफेश्नल एग्जामेनेशन बोर्ड के माध्यम् और एम.पी.आनलाईन के माध्यम् से की जा रही नियमित सीधी में भर्ती में प्रदेश के विभिन्न विभागों और उनकी परियोजनाओं में दस से बीस सालों से कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों के लिए किसी प्रकार की आयु सीमा में छूट, बोनस अंक, अथवा प्राथमिकता प्रदान नहीं किये जाने के कारण महासंघ ने भी जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसकी जल्दी ही सुनवाई होनी है। जिसमें सरकार की सभी नियमित सीधी भर्तियों में रोक लग सकती है। क्योंकि सरकार वर्षो से शासकीय विभागों और उनमें संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को इन नियमित भर्तियों में किसी प्रकार की प्राथमिकता नहीं दे रहा है जिससे प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारी अधिकारी नाराज हैं और उनकी और से संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है ।

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