प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर कसेगी नकेल, स्टूडेंट्स को नहीं भरनी पड़ेगी ज्यादा फीस

भोपाल : अधिनियम में प्रावधान के बाद भी एडमिशन एंड फी रेग्यूलेटरी कमेटी (एएफआरसी) निजी विश्वविद्यालयों में प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय नहीं करती है। इस पर तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने आपत्ति ली है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले सत्र से फीस एएफआरसी निर्धारित करेगी। इसका असर ये होगा कि प्राइवेट यूनिवसिटीज मनमाने ढंग से फीस निर्धारित नहीं कर सकेंगी। इसका सीधा फायदा स्टूडेंट्स को मिलेगा।

निजी विश्वविद्यालयों द्वारा फीस निर्धारण में मनमानी की शिकायतें तकनीकी शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षा विभाग तक पहुंच रही हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने एएफआरसी से फीस निर्धारित कराने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग से अभिमत मांगा था। इस पर तकनीकी शिक्षा विभाग ने अपनी स्वीकृति दे दी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना एएफआरसी के बाद हुई। इसलिए, यह बात पकड़ में नहीं आई थी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 23 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं, जो मनमानी फीस ले रहे हैं।

एक-दूसरे के एक्ट पैदा कर रहे उलझन

निजी विश्वविद्यालयों की फीस निर्धारण के मामले में एएफआरसी और निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के एक्ट में विरोधाभास है। आयोग के एक्ट में निजी विश्वविद्यालयों को छूट दे रखी है। जबकि, एएफआरसी के अपने एक्ट में फीस निर्धारित करने की जिम्मेदारी एएफआरसी की है। अब इस मामले में विधि विभाग से राय मांगी गई है।

डॉ. अखिलेश पाण्डेय, अध्यक्ष निजी विवि विनियामक आयोग का कहना है किआयोग और एएफआरसी दोनों के एक्ट बदलवाना पड़ेगा। क्योंकि, निजी विवि प्रोफेशनल के साथ नॉन प्रोफेशनल कोर्स चलाते हैं। एएफआरसी को दोनों की फीस निर्धारित की जिम्मेदारी देना चाहिए। अभिमत दिया है। आयोग फीस तय नहीं करता। समीक्षा करता है।

प्रो. टीआर थापक, अध्यक्ष एडमिशन एंड फी रेग्यूलेटरी कमेटी ने कहा कि मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उच्च शिक्षा विभाग ने हमसे पूछा था। हमने अपने एक्ट के साथ जवाब दे दिया है। इसके बाद शासन जो भी निर्देश देगा, उसका पालन करेंगे। अभी फीस कमेटी क्यों तय नहीं करती, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।

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